भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ने जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जल्द ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर जाने वाले हैं. वे Axiom Space के चौथे व्यावसायिक मिशन का हिस्सा हैं, जो अब 10 जून को लॉन्च होगा. यह मिशन पहले तय समय से कुछ दिन आगे खिसकाया गया है. लॉन्च अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसX के फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए किया जाएगा.
शुभांशु शुक्ला का यह पहला अंतरिक्ष मिशन है, लेकिन इस मिशन की अहमियत भारत के लिए बहुत बड़ी है. वे इस मिशन में भारत के लिए ISRO और जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के सहयोग से बनाए गए खाने और पोषण से जुड़ी कई वैज्ञानिक रिसर्च करेंगे. यह रिसर्च भविष्य की दीर्घकालीन अंतरिक्ष यात्राओं के लिए बेहद जरूरी मानी जा रही है, जिसमें स्पेस में खाना उगाने और पोषण बनाए रखने की तकनीकों को परखा जाएगा.
कौन-कौन होगा साथ?
इस 14 दिन के मिशन में शुक्ला के साथ पोलैंड के स्लावोस उज़नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी होंगे. इन दोनों देशों के लिए यह पहली बार है जब उनका कोई नागरिक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जा रहा है. पूरी टीम की कमान अनुभवी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन के हाथों में होगी. यह मिशन सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप के लिए भी ऐतिहासिक होने वाला है.
मिशन के दौरान कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे जो 31 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं. शुक्ला ISS पर भारत-केंद्रित प्रयोग करेंगे, जैसे कि मेथी और मूंग के बीजों को सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में अंकुरित करना. बाद में उन बीजों को धरती पर लाकर दोबारा कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि यह देखा जा सके कि अंतरिक्ष में रहने के बाद उनका विकास कैसा होता है.
ये भारतवासियों की यात्रा है- शुभांशु
शुभांशु ने पहले ही ऐलान किया है कि वे अंतरिक्ष से अपने अनुभव वीडियो और तस्वीरों के ज़रिए देशवासियों के साथ साझा करेंगे. उन्होंने कहा, मैं वहां अकेला नहीं जा रहा, यह 1.4 अरब भारतवासियों की यात्रा है. शुक्ला चाहते हैं कि भारत के लोग इस मिशन को अपनी आंखों से देखें और महसूस करें. इसके लिए वे देश के अलग-अलग हिस्सों से कुछ चीजें भी अंतरिक्ष में लेकर जाएंगे.
शुक्ला ने यह भी कहा है कि वे ISS पर भारतीय खाना परोसने की कोशिश करेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मिशन साल 2027 में प्रस्तावित भारत के गगनयान मिशन के लिए अनुभव जुटाने का एक बड़ा मौका साबित होगा. इस मिशन पर भारत सरकार द्वारा 550 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. ऐसे में यह सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष क्षमता और वैज्ञानिक सोच का प्रतीक बनकर उभरने वाला है.